महाराष्ट्र की राजनीति में अब क्या? आखिर क्या है एकनाथ शिंदे-राज ठाकरे की मुलाकात के सियासी मायने

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे से उनके आवास पर मुलाकात की। विधानसभा चुनाव के बाद शिंदे का ठाकरे के आवास पर यह पहला दौरा था।
इस दौरान सरकार के मंत्री उदय सामंत भी उनके साथ मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक इस दौरान राज ठाकरे के बेटे अमित और मनसे अध्यक्ष संदीप देशपांडे भी मौजूद थे। शिवसेना पदाधिकारियों के अनुसार राज ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को रात्रि भोज पर आमंत्रित किया था। ऐसे में राजनीतिक जानकार इस मुलाकात के मायने निकाल रहे हैं।
राज ठाकरे बीएमसी चुनाव की तैयारी में जुटे हैं
राजनीति में कब क्या हो जाए, कहा नहीं जा सकता। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मंगलवार रात मुंबई के दादर स्थित राज ठाकरे के आवास पर पहुंचे। दोनों नेताओं ने एक साथ रात्रि भोज किया। इस दौरान दोनों नेताओं के साथ कई मुद्दों पर चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार, बीएमसी चुनाव को लेकर मनसे काफी सक्रिय है। ऐसे में बीएमसी चुनाव में गठबंधन को लेकर दोनों नेताओं के बीच लंबी बातचीत हुई। राज ठाकरे चाहते हैं कि उनकी पार्टी उद्धव ठाकरे का खोया हुआ आधार हासिल करे। ऐसे में अब वह एकनाथ शिंदे के साथ बैठक कर गठबंधन को अंतिम रूप देने वाले हैं।
वे विधानसभा चुनाव में एक दूसरे के आमने-सामने थे
विधानसभा चुनाव में दोनों नेताओं के बीच रिश्ते सामान्य नहीं रहे। 2024 के चुनावों के दौरान भाजपा के आग्रह के बावजूद शिंदे ने माहिम सीट पर अपनी उम्मीदवारी वापस नहीं ली। राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे ने पहली बार इस सीट से चुनाव लड़ा। शिवसेना ने यहां से महेश सावंत को तथा शिवसेना ने यूबीटी को मैदान में उतारा था। इस सीट से यूबीटी के सावंत ने बड़ी जीत हासिल की। तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों नेताओं के बीच कोई रंजिश है, क्योंकि अगर शिंदे का उम्मीदवार इस सीट से नहीं लड़ता तो अमित ठाकरे की जीत तय थी।
उद्धव ठाकरे को लगेगा झटका
विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाला महायुति गठबंधन सत्ता में आया। एकनाथ शिंदे पिछली सरकार के मुख्यमंत्री थे। चुनाव के बाद बनी नई सरकार में उन्हें उपमुख्यमंत्री पद से ही संतोष करना पड़ा। अब भाजपा के देवेन्द्र फडणवीस मुख्यमंत्री बन गये। भाजपा बीएमसी चुनाव में खुद को पीछे रखकर शिंदे गुट की शिवसेना को सत्ता में लाना चाहती है। ताकि शिंदे गुट की नाराजगी कम हो सके। मुंबई के अलावा, मनसे का ठाणे, कल्याण-डोंबिवली, पुणे, नवी मुंबई, नासिक और छत्रपति संभाजीनगर नगर निगमों में महत्वपूर्ण प्रभाव है। अगर मनसे और शिंदे के बीच गठबंधन होता है तो यह उद्धव ठाकरे के लिए बड़ा झटका होगा।