NDA की ताकत, एक साथ 288 वोट… वक्फ बिल पास ही नहीं, इस मौके ने विपक्ष के सत्ता परिवर्तन के इरादों पर भी पानी फेर दिया!

Waqf Bill: 288 वोट के समर्थन से लोकसभा से वक्फ संशोधन विधेयक पास हो चुका है। इस सिर्फ बिल पास होने की बात नहीं है, बल्कि इस ऐतिहासिक मौके ने एनडीए की ताकत को भी दिखा दिया है। अक्सर सियासत में शिगूफा छोड़ा जाता रहा कि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू, जो वर्तमान संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत कंधे बने हुए हैं, वो धोखा दे सकते हैं।
फिलहाल वक्फ बिल लोकसभा से बहुमत के साथ पास होना ये बतलाता है कि यहां धोखा विपक्ष के साथ हो गया है। एक तरीके से इस मौके ने विपक्ष के सत्ता परिवर्तन के इरादों पर पानी फेर दिया है।
पिछले सालभर में अखिलेश यादव हों, ममता बनर्जी हों या कांग्रेस के कुछ नेता, उनके बयान आते रहे कि केंद्र में बीजेपी सरकार लंबे समय नहीं चलेगी। दरकिनार नहीं किया जा सकता है कि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के समर्थन से ही बीजेपी सरकार में है, लेकिन विपक्ष की तरफ से दोनों नेताओं को अपने पाले में लाने की कोशिश कभी सार्वजनिक तौर पर तो कभी अंदरखाने जरूर होती रही हैं। वक्फ विधेयक से विपक्ष को कहीं ना कहीं मौके की तलाश थी कि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू इसकी मुखालफत करें। हालांकि उनके ये इरादे इरादे ही रह गए, क्योंकि नीतीश और चंद्रबाबू नायडू ने नरेंद्र मोदी का साथ नहीं छोड़ा है।
वक्फ बिल पर बीजेपी को जीत मिली
वक्फ बिल लोकसभा में पास होना बीजेपी के लिए बड़ी जीत है। देर रात तक चली लोकसभा ने मैराथन और गरमागरम बहस के बाद वक्फ संशोधन विधेयक पारित कर दिया। स्पीकर ओम बिरला ने मतविभाजन के परिणाम की घोषणा की। उन्होंने कहा बताया कि सुधार के अधीन हां पक्ष में 288, नहीं पक्ष में 232 वोट हैं। आसान शब्दों में कहें तो वक्फ बिल के समर्थन में 288 वोट पड़े, जबकि इस विधेयक के विरोध में 232 वोट आए। विपक्ष इस विधेयक का कड़ा विरोध करता रहा, जबकि बीजेपी और उसके सहयोगियों ने इसका पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि इससे पारदर्शिता आएगी और वक्फ बोर्डों की कार्यकुशलता बढ़ेगी।
अब राज्यसभा में बीजेपी की अग्निपरीक्षा
बीजेपी वक्फ संशोधन विधेयक को लोकसभा से पारित करा लाई है, लेकिन असली परीक्षा राज्यसभा में है। यहां सत्ता पक्ष की तरह विपक्ष भी मजबूत स्थिति में है। अगर एनडीए के कुछ सदस्य यहां क्रॉस वोटिंग कर गए तो बिल अटक जाएगा और इससे बीजेपी की कोशिश नाकाम हो सकती है। मसलन लोकसभा की तरह राज्यसभा में बीजेपी को अपने सहयोगियों को पूरे भरोसा में लेकर ही चलना पड़ेगा।
नंबर गेम देखें तो राज्यसभा में कुल 245 सदस्य हैं। अभी राज्यसभा के सिटिंग सदस्यों की संख्या 236 है, जबकि 9 सीटें खाली हैं। इस लिहाज से किसी बिल पर बहुमत के लिए 118 वोट चाहिए होंगे। इसमें सत्ताधारी बीजेपी नीत एनडीए के पास 125 सांसद हैं।