हरिद्वार का औरंगजेबपुर बना शिवाजी नगर, मियांवाला हुआ रामवाला. उत्तराखंड में 17 जगहों के बदले नाम: बोले CM धामी- भारतीय संस्कृति-विरासत के आधार पर किया बदलाव

देहरादून जिले में वर्तमान स्थान मियांवाला का नाम रामजीवाला, पीरवाला का नाम केसरी नगर, चांदपुर खुर्द का नाम पृथ्वीराज नगर और अब्दुल्लापुर का नाम अब दक्षनगर किया गया है।
उत्तराखंड में 4 जिलों के 17 जगहों के नाम में बदलाव किया गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने सोमवार (31 मार्च 2025) को बदले हुए नामों की घोषणा की। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और विरासत को ध्यान में रखते हुए नाम बदले गए हैं। वहीं, कॉन्ग्रेस ने फैसले को बीजेपी द्वारा जनता का असली मुद्दे से ध्यान भटकाने का नाटक करार दिया।

प्रदेश में बदले गए स्थानों की लिस्ट मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने अपने अधिकारिक ‘X’ अकाउंट पर पोस्ट की। सीएम ने लिखा, “हरिद्वार जनपद का औरंगज़ेबपुर अब शिवाजी नगर के नाम से जाना जाएगा…जनभावनाओं के अनुरूप हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और उद्धम सिंह नगर जनपदों में स्थित विभिन्न स्थानों के नाम परिवर्तित किए गए हैं।”
सूची के मुताबिक, हरिद्वार जिले में औरंगजेबपुर का नाम शिवाजी नगर गाजीवाली का नाम आर्यनगर, चांदपुर का नाम ज्योतिबा फुले नगर, मोहम्मदपुर जट का नाम मोहनपुर जट, खानपुर कुर्सली का नाम अंबेडकर नगर, इदरीशपुर का नाम नंदपुर, खानपुर का नाम श्री कृष्णपुर, अकबरपुर फाजलपुर का नाम विजयनगर, आसफनगर का नाम देवनारायण नगर और सलेमपुर राजपूताना का नाम शूरसेन नगर रखा गया है।

देहरादून जिले में वर्तमान स्थान मियांवाला का नाम रामजीवाला, पीरवाला का नाम केसरी नगर, चांदपुर खुर्द का नाम पृथ्वीराज नगर और अब्दुल्लापुर का नाम अब दक्षनगर किया गया है।

नैनीताल जिले में नवाबी रोड अब अटल मार्ग और पनचक्की से आईटीआई मार्ग को गुरु गोवलकर मार्ग नाम से जाना जाएगा। साथ ही उधम सिंह नगर जिले में नगर पंचायत सुल्तानपुर पट्टी का नाम बदलकर अब कौशल्या पूरी हो गया है।

बीजेपी ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया है। उत्तराखंड के मीडिया सचिव मनवीर चौहान ने कहा कि विभिन्न स्थानों के नाम बदलने का काम जनभावना और भारतीय संस्कृति एवं विरासत के अनुरूप किया जा रहा है। इससे लोग भारतीय संस्कृति और इसके संरक्षण में योगदान देने वाले महापुरुषों से प्रेरणा ले सकेंगे।

वहीं, कॉन्ग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा, “नाम बदलना बीजेपी का एजेंडा बन गया है क्योंकि उनके पास असली काम दिखाने के लिए कुछ नहीं है। पिछले आठ साल विफल रहे हैं। अब जनता उनसे सवाल कर रही है। सवालों से ध्यान भटकाने के लिए वे नाम बदलने का नाटक कर रहे हैं।”

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