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भूकंप प्रभावित म्यांमार को 15 टन राहत सामग्री भेजेगा भारत

  • PublishedMarch 29, 2025

नई दिल्ली, 29 मार्च (आईएएनएस)। म्यांमार और थाईलैंड में शुक्रवार को भूकंप ने भारी तबाही मचाई। इस तबाही में जानमाल का काफी नुकसान हुआ है। इस बीच, भारत ने भूकंप प्रभावित म्यांमार की मदद को हाथ बढ़ाया है।

नई दिल्ली, 29 मार्च (आईएएनएस)। म्यांमार और थाईलैंड में शुक्रवार को आए विनाशकारी भूकंप ने भारी तबाही मचाई, जिससे दोनों देशों में व्यापक जानमाल की हानि हुई। इस प्राकृतिक आपदा ने हजारों लोगों को प्रभावित किया, जबकि कई इमारतें धराशायी हो गईं। इस संकट की घड़ी में भारत ने तुरंत मानवीय सहायता के लिए कदम बढ़ाते हुए म्यांमार की मदद का आश्वासन दिया है।

भूकंप की तीव्रता और प्रभाव

शुक्रवार को म्यांमार और थाईलैंड के सीमावर्ती इलाकों में आए इस शक्तिशाली भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.8 मापी गई। भूकंप का केंद्र म्यांमार के एक सघन आबादी वाले क्षेत्र में था, जिससे वहां बड़े पैमाने पर क्षति हुई। इस भूकंप के कारण कई भवनों को नुकसान पहुंचा, सड़कों में दरारें आ गईं और बुनियादी ढांचे को गंभीर क्षति हुई।

थाईलैंड के उत्तरी भागों में भी इस भूकंप का प्रभाव महसूस किया गया। कई स्थानों पर बिजली आपूर्ति बाधित हो गई और टेलीफोन संचार ठप हो गया। स्थानीय प्रशासन और आपातकालीन सेवाएं तुरंत राहत कार्यों में जुट गईं, लेकिन स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है।

म्यांमार में भारी तबाही

म्यांमार में सबसे अधिक नुकसान हुआ है, जहां भूकंप के कारण कई ऐतिहासिक इमारतें गिर गईं और हजारों लोग बेघर हो गए। स्थानीय प्रशासन ने बताया कि दर्जनों लोग मारे गए हैं और घायलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बचाव अभियान तेज कर दिया गया है, और प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, भूकंप के झटके इतनी तीव्रता से महसूस किए गए कि लोग अपने घरों से बाहर भागने लगे। अस्पतालों में घायलों की संख्या बढ़ने से चिकित्सा सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। सरकार और स्थानीय प्रशासन राहत कार्यों में पूरी तत्परता से जुटे हुए हैं, लेकिन प्रभावित इलाकों में संसाधनों की कमी महसूस की जा रही है।

थाईलैंड में भी असर

थाईलैंड में भी इस भूकंप का प्रभाव देखा गया। हालांकि, यहां नुकसान म्यांमार की तुलना में कम हुआ, लेकिन कई क्षेत्रों में इमारतों को आंशिक क्षति पहुंची। थाईलैंड की सरकार ने स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए आपातकालीन सेवाओं को हाई अलर्ट पर रखा है।

विशेषज्ञों के अनुसार, इस क्षेत्र में भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है, क्योंकि यह इलाका भूकंपीय गतिविधियों के लिहाज से संवेदनशील है। यही कारण है कि इस भूकंप के बाद भी कुछ आफ्टरशॉक्स (भूकंप के बाद आने वाले हल्के झटके) महसूस किए गए, जिससे लोगों में भय का माहौल बना हुआ है।

भारत की ओर से सहायता

भारत सरकार ने इस आपदा के बाद तुरंत प्रतिक्रिया दी और म्यांमार को हरसंभव सहायता देने की पेशकश की। भारत के विदेश मंत्रालय ने घोषणा की है कि म्यांमार में राहत और बचाव कार्यों में सहायता के लिए भारतीय राहत दल भेजे जाएंगे। इसके अलावा, खाद्य सामग्री, दवाइयां, तंबू और अन्य आवश्यक वस्तुएं भी भेजी जाएंगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस त्रासदी पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि भारत इस कठिन समय में अपने पड़ोसी देश म्यांमार के साथ खड़ा है। उन्होंने म्यांमार की जनता के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए राहत और पुनर्वास कार्यों में हरसंभव मदद देने का आश्वासन दिया।

राहत कार्य और अंतरराष्ट्रीय सहायता

म्यांमार और थाईलैंड की सरकारों ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से भी सहायता मांगी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और रेड क्रॉस जैसी संस्थाएं पहले ही सहायता के लिए सक्रिय हो चुकी हैं।

म्यांमार में राहत कार्यों में तेजी लाने के लिए बचाव दल मलबा हटाने और फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने में जुटे हुए हैं। प्रभावित क्षेत्रों में खाद्य सामग्री और स्वच्छ जल की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।

भारत के अलावा, अन्य पड़ोसी देश जैसे चीन और बांग्लादेश ने भी म्यांमार की मदद करने की पेशकश की है। इस त्रासदी के चलते क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा हो रही है, जिससे भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए एक मजबूत रणनीति बनाई जा सके।

भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने की योजना

विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिण एशिया में भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए अधिक ठोस रणनीति की आवश्यकता है। इसके तहत मजबूत बुनियादी ढांचे का निर्माण, भूकंपरोधी इमारतों की संख्या बढ़ाना और आपदा प्रबंधन तंत्र को और मजबूत करना आवश्यक है।

म्यांमार और थाईलैंड की सरकारें अब इस घटना से सीख लेकर अपने आपदा प्रबंधन सिस्टम को और प्रभावी बनाने की दिशा में काम कर सकती हैं। इसके अलावा, इस क्षेत्र में भूकंप से निपटने के लिए तकनीकी सहयोग और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने की भी आवश्यकता है।

निष्कर्ष

म्यांमार और थाईलैंड में आए इस विनाशकारी भूकंप ने एक बार फिर दिखाया कि प्राकृतिक आपदाएं कितनी भयावह हो सकती हैं और इसके लिए पहले से तैयार रहना कितना आवश्यक है। इस संकट की घड़ी में भारत ने मानवीय सहायता के लिए हाथ बढ़ाया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आपदा के समय पड़ोसी देशों को एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।

राहत कार्य अभी भी जारी हैं, और सरकारें पूरी कोशिश कर रही हैं कि पीड़ितों को जल्द से जल्द सहायता मिल सके। आने वाले समय में, ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर अधिक सहयोग और योजना बनाना बेहद जरूरी होगा।

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