शिवसेना कार्यकर्ताओं की पार्टी है, मालिक और उसके गुलामों की नहीं: शिंदे

Maharashtra Deputy Chief Minister Eknath Shinde: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को उद्धव ठाकरे पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व वाली शिवसेना ‘मालिक और गुलामों’ की नहीं बल्कि समर्पित कार्यकर्ताओं की पार्टी है।
शिवसेना (उबाठा) से शिवसेना में शामिल हुए कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए शिंदे ने कहा कि उनके जैसे सैनिक सोने का चम्मच लेकर पैदा नहीं हुए।
उन्होंने कहा, ”हमने लोगों के जीवन में सुनहरे दिन लाने के लिए कड़ी मेहनत की है। हम जमीनी कार्यकर्ता हैं और मैं आपका सहयोगी हूं। यह कार्यकर्ताओं की पार्टी है, न कि मालिक और गुलामों की पार्टी।”
शिंदे ने कहा कि उन्होंने हमेशा आलोचना और दुर्व्यवहार का जवाब अपने काम से दिया है।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का बड़ा बयान: ‘शिवसेना समर्पित कार्यकर्ताओं की पार्टी, न कि मालिक और गुलामों की’
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने बुधवार को एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने अपनी पार्टी को ‘समर्पित कार्यकर्ताओं की पार्टी’ करार देते हुए परोक्ष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा। शिंदे ने कहा कि उनकी नेतृत्व वाली शिवसेना मालिक और गुलामों की नहीं, बल्कि मेहनती कार्यकर्ताओं की पार्टी है।
एकनाथ शिंदे ने यह टिप्पणी उस समय की जब वह शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) से अलग होकर उनकी पार्टी में शामिल हुए कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि उनके जैसे कार्यकर्ता ‘सोने का चम्मच’ लेकर पैदा नहीं हुए, बल्कि संघर्ष और मेहनत के बल पर इस मुकाम तक पहुंचे हैं।
‘हमने मेहनत से जनता की जिंदगी में सुनहरे दिन लाने का प्रयास किया’
शिंदे ने कहा, “हमने लोगों के जीवन में सुनहरे दिन लाने के लिए कड़ी मेहनत की है। हम जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ता हैं और मैं भी आपका साथी हूं। यह पार्टी कार्यकर्ताओं की है, किसी मालिक और गुलामों की नहीं।”
उनके इस बयान को राजनीतिक विश्लेषकों ने उद्धव ठाकरे पर तंज के रूप में देखा है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने हमेशा आलोचना और दुर्व्यवहार का जवाब अपने काम से दिया है।
शिवसेना का बंटवारा और सत्ता संघर्ष
महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले कुछ वर्षों में जबरदस्त उथल-पुथल देखी गई है। 2022 में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में बगावत कर दी थी और बड़ी संख्या में विधायकों के साथ अलग हो गए थे। इसके बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ मिलकर सरकार बना ली थी और मुख्यमंत्री पद संभाला था।
इस घटनाक्रम के बाद शिवसेना दो गुटों में बंट गई – एक गुट एकनाथ शिंदे का और दूसरा उद्धव ठाकरे का। दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक खींचतान जारी रही और मामला चुनाव आयोग तक पहुंचा। बाद में चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को ही असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी।
‘मैं भी एक साधारण कार्यकर्ता हूं’
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए शिंदे ने कहा, “मैं भी आप सभी की तरह एक साधारण कार्यकर्ता हूं। मेरे पास कोई राजनीतिक विरासत नहीं थी, न ही मैं किसी बड़े राजनीतिक परिवार से आता हूं। लेकिन मैंने अपनी मेहनत और लोगों की सेवा के बल पर यह मुकाम हासिल किया है।”
उन्होंने आगे कहा कि सत्ता उनके लिए सेवा का माध्यम है, न कि व्यक्तिगत लाभ कमाने का साधन। “हमने हमेशा जनहित को प्राथमिकता दी है और आगे भी जनता के लिए काम करते रहेंगे,” उन्होंने कहा।
‘हम आलोचना का जवाब काम से देते हैं’
शिंदे ने कहा कि वे आलोचनाओं से घबराते नहीं हैं, बल्कि उसका जवाब अपने काम से देते हैं। उन्होंने कहा, “बहुत से लोगों ने हमारे खिलाफ गलत बातें कहीं, हमें धोखेबाज कहा गया, लेकिन हमने इसका जवाब अपने कार्यों के माध्यम से दिया है। महाराष्ट्र की जनता हमारे साथ है, यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।”
उद्धव ठाकरे पर परोक्ष हमला
हालांकि शिंदे ने अपने भाषण में उद्धव ठाकरे का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान से साफ जाहिर था कि वे ठाकरे गुट पर निशाना साध रहे थे। शिंदे का यह बयान ऐसे समय आया है जब महाराष्ट्र में आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, शिंदे यह संदेश देना चाहते थे कि उनकी शिवसेना जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं की पार्टी है, न कि किसी परिवार विशेष की।
‘जनता की सेवा ही हमारा लक्ष्य’
अपने भाषण के दौरान शिंदे ने कहा, “हमारी सरकार का मकसद केवल जनता की सेवा करना है। हम चाहते हैं कि महाराष्ट्र के हर नागरिक को विकास का लाभ मिले। किसानों, युवाओं और गरीबों के लिए हमारी सरकार हमेशा काम करती रहेगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार राज्य में विकास कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
चुनावों पर शिंदे की रणनीति
शिंदे की यह बयानबाजी ऐसे समय पर आई है जब महाराष्ट्र में आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों की तैयारी चल रही है। शिवसेना (शिंदे गुट) और बीजेपी मिलकर चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं। वहीं, उद्धव ठाकरे की पार्टी भी अपनी रणनीति तैयार कर रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शिंदे कार्यकर्ताओं को अपने पक्ष में मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वे आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
निष्कर्ष
एकनाथ शिंदे का यह बयान न केवल उनके समर्थकों को प्रेरित करने के लिए था, बल्कि इसका उद्देश्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को भी संदेश देना था। उन्होंने अपनी पार्टी को ‘समर्पित कार्यकर्ताओं की पार्टी’ बताते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि वे जमीनी स्तर के नेताओं और कार्यकर्ताओं को महत्व देते हैं।
आगामी चुनावों को देखते हुए, महाराष्ट्र की राजनीति में और अधिक गर्मी देखने को मिल सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उद्धव ठाकरे और विपक्षी दल इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और शिंदे गुट अपनी राजनीतिक स्थिति को कैसे मजबूत करता है।