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योगी सरकार के 8 साल : ‘बीमारू’ से ‘ब्रेक-थ्रू’ प्रदेश, 45 लाख करोड़ के निवेश प्रस्तावों से कायाकल्प

  • PublishedMarch 20, 2025

लखनऊ 20 मार्च . उत्तर प्रदेश ने बदलाव की जिस बयार का पिछले 8 वर्ष में साक्षात्कार किया है, वह अद्भुत और अकल्पनीय है. वर्ष 2017 में योगी सरकार ने पीएम मोदी के रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के विजन को धरातल पर उतारने का जो संकल्प उठाया था, वह अनवरत जारी है.
आठ साल में उत्तर प्रदेश ‘बीमारू’ से ‘ब्रेक-थ्रू’ प्रदेश बनकर देश की अर्थव्यवस्था का ग्रोथ इंजन और फेवर्ड डेस्टिनेशन बनकर उभरा. यह योगी सरकार की सार्थक नीतियों और सशक्त कार्यप्रणाली के कारण ही संभव हो सका.

सीएम योगी ने प्रदेश में औद्योगिक निवेश को आकर्षित करने, कारोबारी सुगमता में सुधार करने और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के जो ठोस कदम उठाए, उनका ही असर है कि उत्तर प्रदेश देश में ‘उद्यम प्रदेश’ की अपनी पहचान सशक्त कर रहा है.

उद्योगों को मिले बढ़ावे के कारण राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई. 8 साल में प्रदेश की जीएसडीपी 2017 की अपेक्षा दोगुनी होकर 27.51 लाख करोड़ रुपए होने जा रही है और जल्द ही 30 लाख करोड़ का आंकड़ा पार कर लेगी. योगी सरकार के प्रयासों से प्रदेश में 45 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव आए, जिसमें से 15 लाख करोड़ रुपए के निवेश को धरातल पर उतारा जा चुका है. इससे 60 लाख युवाओं को रोजगार मिला. प्रदेश वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनने की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है.

पिछले आठ वर्ष में प्रदेश में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए नीतिगत सुधारों पर विशेष फोकस रहा. योगी सरकार ने ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को प्राथमिकता दी. औद्योगिक निवेश और रोजगार संवर्धन नीति-2017 लागू की गई, जिसके तहत निवेशकों को कर छूट, सब्सिडी और जमीन आवंटन में सहूलियत दी गई. प्रदेश में 33 सेक्टोरल पॉलिसी लागू की गईं, जिससे उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास का केंद्र बनकर उभरा. विश्व बैंक की कारोबारी सुगमता रैंकिंग में 2017 में उत्तर प्रदेश 14वें स्थान पर था, 2022 में वह दूसरे स्थान पर पहुंच गया. ‘निवेश मित्र’ पोर्टल की शुरुआत ने ऑनलाइन मंजूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और तेज बनाया, जिससे निवेशकों का उत्तर प्रदेश में भरोसा बढ़ा.

योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में निवेश को आकर्षित करने के लिए वैश्विक मंच तैयार किया. प्रदेश में वर्ष 2018 में पहली बार ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईसी) का आयोजन किया गया. फरवरी 2023 में आयोजित ‘यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट- 2023’ इस दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ. निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारने के लिए सरकार ने ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी (जीबीसी) की शुरुआत भी की. 2018 से अब तक चार जीबीसी आयोजित हो चुकी हैं, जिनमें करोड़ों रुपए की परियोजनाओं को धरातल पर उतारने में मदद मिली.

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